कार्यक्रम में हमारी संस्था के कुछ वालंटियर व् महात्मा गाँधी कशी विद्यापीठ व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र/छात्राये क्रमशः श्रद्धा मिश्रा, मोनिका कुमारी, कुमारी आरती, निधिश्री मिश्रा, सौम्या मिश्रा, आर्यन राज, अमित कुमार गुप्ता, रवि कुमार पाल, एवं दिलीप पटेल ने प्रमुख असंक्रामक रोगो के विषय में एक संक्षिप्त व्याख्यान प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ हमारी संस्था के प्रमुख श्री शिव प्रकाश जी द्वारा असंक्रामक रोगो के विषय में एक संक्षिप्त परिचय व् इनके साथ उत्त्पन्न होने वाली मानिसक समस्याएं और रोगो के विषय में व्याख्यान के साथ हुआ, जिसके अंतर्गत आपने बताया कि स्वास्थ्य को प्रभावित करने में संक्रामक रोगों की ही भांति असंक्रामक रोगो की भी भूमिका अहम् होती है। WHO के अनुसार प्रति वर्ष लगभग 71 मिलियन लोगो की मृत्यु असंक्रामक रोगों के कारण होती है जिसमे से अधिकांश 30 से 69 वर्ष की आयु के होते है। सबसे प्रमुख रूप से पाए जाने वाले असंक्रामक रोगों में हृदय रोग, मधुमेह, श्वशन सम्बंधित समस्या, और कैंसर है। संक्रामक रोगो से ग्रस्त व्यक्ति में एक और जहां शरीरिक समस्याएं तो होती ही है उसके साथ-साथ उसे मानसिक रोगों जैसे अवसाद, दुश्चिता आदि का भी सामना करना पड़ता है ऐसे समय में उसे उचित चिकित्सकिय परामर्श के साथ साथ परिवार के स्नेह और सहयोग की आवश्यकता अधिक होती है।
कार्यक्रम में सौरव कुमार जी ने असंक्रामक रोगों के प्रमुख कारको में से एक प्रमुख कारक पान-गुटका,सिगरेट, शराब, और अन्य नशीले पदार्थो के नशे की लत व उनसे सम्बंधित रोगों के विषय में प्रकाश डालते हुए बताया कि अधिकांश असंक्रामक रोगों जैसे ह्रदय रोग, उच्च रक्त चाप, कैंसर, मधुमेह आदि के उत्पन्न होने में किसी न किसी रूप में पान-गुटका,सिगरेट, शराब, और अन्य नशीले पदार्थो की भूमिका पायी जाती है। व्यक्ति जब इन पदार्थो का सेवन अत्यधिक मात्रा में लेने लगता है तो यह नशे की लत का रूप ले लेती है और उसे विभिन्न प्रकार की शारीरिक व् मानसिक समस्याओ का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में इस नशे की लत को छोड़ना तो चाहता पर ऐसा कर नहीं पाता है इस लिए सबसे उचित यह है कि व्यक्ति नशीले पदार्थो का सेवन करने से सदैव बचे और नशे की लत पड़ने पर समय रहते किसी मनोचिकित्सक से परामर्श ले।
कार्य्रक्रम में आकांक्षा जी ने स्त्रियों में उत्त्पन्न होने वाले प्रमुख असंक्रामक रोगो के विषय में ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि स्तिर्यो में सामान्य रूप से अनीमिया, थायराइड, मधुमेह, स्तन व् गर्भाशय का कैंसर पाया जाता है। स्त्रियों को अपने स्वास्थ्य को लेकर सदैव सजग रहना चाहिए, और उचित आहार व् व्यायाम के साथ मासिक धर्म से सम्बंधित स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कार्यक्रम में आकांक्षा जी ने माहवारी के सम्बन्ध में विशेष व्याख्यान भी दिया।
कार्यक्रम में संजय कुमार सिंह जी असंक्रामक रोगो के से मुक्त होने में उचित जीवन शैली के महत्व के विषय में प्रकाश डालते हुए बताया कि हमारे स्वास्थ्य में उचित जीवन शैली का विशेष महत्व है व्यक्ति जब अस्त व्यस्त जीवन शैली से दिनचर्या बनाये रखता है तो उसे न केवल स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओ का सामना करना पड़ता है बल्कि उसे विभिन्न प्रकार की मनोसामाजिक समस्याओ का भी सामना करना पड़ता है ऐसी स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह सर्वप्रथम अपनी जीवन शैली में उचित सुधार करे। प्रतिदिन नियमित संतुलित आहार व व्यायाम के साथ हमें अच्छी विचारधारा, अच्छे कार्यो, परिवार-मित्रो के साथ कुछ समय बिताने और ईश्वर साधना में मन लगाना चाहिए।
कार्यक्रम में हमारी संस्था से जुड़े छात्र-छात्राओं निम्न असंक्रामक रोगो के विषय में एक संक्षिप्त प्रस्तुतीकरण दिया:
कार्यक्रम में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की बैचलर इन फिज़िओथेरेपी की छात्रा श्रद्धा मिश्रा ने बाल्यावस्था व किशोरावस्था में उत्त्पन्न होने प्रमुख रोग अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिवीटी डिसऑर्डर के विषय में एक संक्षिप्त प्रस्तुतीकरण दिया।
कार्यक्रम में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की बैचलर इन फिज़िओथेरेपी की छात्रा मोनिका कुमारी ने remote arthritis के विषय में एक संक्षिप्त प्रस्तुतीकरण दिया।
0 टिप्पणियाँ